हिन्दी भाषा की वैश्विक स्वीकार्यता विषय पर कार्यशाला का आयोजन
भाकृअनुप-विवेकानन्द पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान हवालबाग] अल्मोड़ा में हिन्दी भाषा की वैश्विक स्वीकार्यता विषय पर कार्यशाला का आयोजन 10 दिसम्बर, 2024 को किया गया। कार्यशाला का शुभारम्भ परिषद गीत से हुआ। इस अवसर पर मुख्य अतिथि एवं मुख्य वक्ता के रूप में प्रोफेसर विनय कुमार विद्यालंकार] प्राचार्य राजकीय महाविद्यालय] बेतालघाट] नैनीताल उपस्थित रहे। सर्वप्रथम भाकृअनुप-विवेकानन्द पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान] अल्मोड़ा के प्रभागाध्यक्ष] डॉ- निर्मल कुमार हेडाऊ ने सभी सहभागिओं का स्वागत किया। संस्थान के निदेशक डा- लक्ष्मी कान्त ने अपने उदबोधन में सभी का स्वागत करते हुए कहा कि हिंदी एक ऐसी भाषा है जो सभी भाषाओं को अपने में समाहित कर लेती है। मातृभाषा बोलने में हमें संकोच नहीं अपितु गर्व करना चाहिए। उन्होंने सभी श्रोताओं को संस्थान में हो रही हिंदी की प्रगति की जानकारी देते हुए कहा कि यह संस्थान हिंदी की प्रगति हेतु सदैव प्रयासरत है। संस्थान के विभिन्न प्रकाशन हिंदी में निकलते है। इसके अलावा विभिन्न प्रशिक्षण सामग्री भी हिंदी में प्रकाशित होती हैं और प्रशिक्षण भी अधिकतर हिंदी में ही दिए जाते हैं। यह हमारे लिए प्रशंसा का विषय है कि विगत वर्ष संसदीय राजभाषा की दूसरी उप समिति के निरिक्षण के दौरान यह संस्थान सभी मानकों पर सफल रहा। मुख्य वक्ता प्रो- विनय कुमार विद्यालंकार ने हिन्दी भाषा की वैष्विक स्वीकार्यता विषय पर व्याख्यान देते हुये राजभाषा के इतिहास] उद्भव] लिखित भाषा की सहायक लिपि] स्वर एवं व्यंजन के उच्चारण को अत्यन्त रूचिकर तरीके से समझाया। उनके अनुसार भाषा विचार करने और विचारों पर चलने का अवसर प्रदान करती है।
उन्होंने कहा कि हमारा देश कृषि प्रधान एवं ऋषि प्रधान देश है] जहां परिश्रम एवं पुरूषार्थ से आत्मिक विकास होता है। उन्होंने सामान्य] असामान्य] औपचारिक एवं अनौपचारिक भाषा को रूचिकर उदाहरणों से सभी को समझाया। उनके अनुसार हिन्दी विश्व की दूसरी सबसे ज्यादा बोले जाने वाली भाषा है जो कि व्यवहारिकत एवं संपर्क भाषा का काम करती है। उनके अनुसार भारतवर्ष एक बड़ा व्यापार केन्द्र है। विभिन्न देश हिन्दी भाषा को सीखने में तत्परता दिखा रहे है और यह भाषा वैश्विक स्तर पर अपनी स्वीकार्यता को बढ़ाती जा रही है। हिन्दी का एक विशेष गुण यह है कि इसने विभिन्न भाषाओं के शब्दों को अपना बना लिया हैं जो कि विश्व स्तर पर इसके प्रचार-प्रसार में काफी सहायक सिद्व हुई हैं। वैश्विक स्तर पर इसे एक समृद्ध भाषा बनाने हेतु जनपुरूषार्थ ही आहुति का कार्य करने में सक्षम है। उन्होंने हिन्दी को बढ़ावा देने के उपाय भी बताये।
कार्यशाला में भाकृअनुप-विवेकानन्द पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान] अल्मोड़ा के फसल सुरक्षा प्रभाग के प्रभागाध्यक्ष डा- कृष्ण कान्त मिश्रा] फसल उत्पादन के प्रभागाध्यक्ष डा- बी- एम- पाण्डे] सामाजिक विज्ञान की अनुभागाध्यक्ष डॉ- कुशाग्रा जोशी] समस्त वैज्ञानिक] अधिकारी] तकनीकी] प्रशासनिक व सहायक वर्ग के कर्मचारी उपस्थित थे। कार्यशाला का सफल संचालन भाकृअनुप-विवेकानन्द पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान] अल्मोड़ा की मुख्य तकनीकी अधिकारी एवं प्रभारी राजभाषा अधिकारी श्रीमती रेनू सनवाल तथा धन्यवाद प्रस्ताव वैज्ञानिक डा- प्रियंका खाती द्वारा दिया गया।